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DG, ICAR Inaugurated Natural Farming Campus at ICAR- Central Institute for Subtropical Horticulture, Lucknow

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के तेलीबाग परिसर का प्राकृतिक कृषि के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक डॉ. पाठक द्वारा उद्धघाटन

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के रायबरेली रोड परिसर में दिनांक 27 सितम्बर 2022 को “प्राकृतिक कृषि परिसर” का उद्घाटन भारत सरकार के कृषि शोध एवम शिक्षा विभाग के सचिव एवम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक द्वारा ऑन लाइन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के सभी वैज्ञानिक, कर्मचारी जुडे रहे। इस प्रक्रिया से संस्थान के पूर्व निदेशक एवम गौ आधारित खेती के विद्वान डा. राम कृपाल पाठक भी जुडे रहे । इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने सभी वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने वैज्ञानिक शोध द्वारा प्राकृतिक खेती के वैज्ञानिक आधार को सिद्ध करना होगा क्योंकि सत्य की ही अंत में विजय होती है। हम चाहते हैं कि हमें रासायनिक खेती का विकल्प मिले लेकिन वह सत्य और सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य होना चाहिए। मुख्य अतिथि ने संस्थान द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा की। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली के उपमहानिदेशक ( बागवानी) डा. ए.के सिह ने संस्थान के निदेशक और वैज्ञानिकों को बधाई दी और संस्थान द्वारा किये गये प्रयासों के बारे में बताया। संस्थान की निदेशक डा. नीलिमा गर्ग ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में संस्थान की उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा की और बताया की संस्थान इस क्षेत्र में किसानों और अन्य इच्छुक व्यक्तियों को प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि गत 1 जनवरी 2022 को माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर प्राकृतिक कृषि की विधा पूरे देश में लोकप्रिय हुई| इसी दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्देशानुसार केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने सक्रिय पहल करते हुए 5 फरवरी 2022 को लखनऊ जिले की स्थानीय गौशाला से पशुपालन विभाग की मदद से 4 नि:सहाय गायें प्राप्त कीं और संस्थान के रायबरेली रोड परिसर में एक छोटी से गौशाला का शुभारंभ किया| संस्थान 13.2 है॰ के परिसर में से खेत और बाग के लिए उपलब्ध लगभग 10 है॰ क्षेत्र को पूर्णतया प्राकृतिक कृषि परिसर के रूप में विकसित कर रहा है| इस फार्म पर कोई भी रसायन या कीटनाशी/ फफूंदनाशी का प्रयोग नहीं किया जाता है और सफलतापूर्वक प्रबंधन किया जा रहा है |संस्थान के प्राधान वैज्ञानिक और प्राकृतिक खेती के अगुआ डा. सुशील शुक्ल जी ने अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताय कि इस वर्ष आम के वृक्षों से लगभग पिछले वर्ष की तुलना में लगभग तीन गुना आमदनी दर्ज की गई | पिछले वर्ष आम के वृक्षों से कूल आमदनी रु 1.82 लाख थी जोकि इस वर्ष बढ़ाकर रु 4.55 लाख हो गई| संस्थान के परिसर में एक गौ उत्पाद केंद्र है जिसमें विभिन्न गौ उत्पाद यथा जीवामृत, बीजामृत, अमृतपानी, नीमास्त्र, अग्नि अस्त्र, ब्रह्मास्त्र (दशपर्णी अर्क), बी डी 500, बी डी -501, काऊ पैट पिट, वर्मीवाश आदि बनाए जाते हैं और आवश्यकतानुसार प्रयोग किये जाते हैं| आम के वृक्षों के प्रबंधन में कैनोपी प्रबंधन का विशेष महत्व रहा| पेड़ों में सेंटर ओपेनिंग करने से कीट और बीमारियों के प्रबंधन में काफी मदद मिली| फलदार सभी वृक्षों के चारों ओर खालों में जैविक अवशेषों से मलचिंग की गई है जिसमें नियमित जीवामृत का प्रयोग किया जाता है| पॉलीथीन की पट्टी बांधकर गुजिया कीट का प्रबंधन किया गया| फेरोमोन एवं लाइट ट्रेप्स की मदद से कीट प्रबंधन में भी मदद मिली । संस्थान के इस प्राकृतिक कृषि परिसर में विविध नत्रजन स्थिरीकरण करने वाले वृक्षों यथा ग्लिरिसीडीया, सुबबूल, करंज, सहजन, चकवड़, नीम, एवं विविध दशपर्णी पौधों यथा कनेर, निर्गुंडी, गिलोय, शरीफा, धतूरा, मदार, पपीता, आदि के पौधों को लगाया गया है| कुछ पौधों जैसे ग्लिरिसीडीया और सुबबूल को बाड़ के रूप में भी लगाया गया है| संस्थान के इस परिसर में एक जैविक पौधशाला भी है जिसमें पूर्ण रूप से जैविक विधि से पौधे तैयार क्यी जाते हैं| यहाँ पर आम , अमरूद, बेल आंवला आदि के कलमी पौधे जैविक विधि से तैयार किए जाते हैं । संस्थान के इस परिसर में एक बायोकंट्रोल प्रयोगशाला भी है जिसमें विभिन्न जैविक उत्पाद यथा सी आई एस एच बायोएनहाँसर, सी आई एस एच बायोजैपर, बवेरिया बैसियाना आदि के कल्चर तैयार एवम प्रयोग किए जाते हैं कार्यक्रम के अंत में संस्थान के फसल उत्पादन प्रभाग के अध्यक्ष डा. पी एल सरोज ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक एवम कर्मचारी उपस्थित रहे।